वैश्विक तेल बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच भारतीयों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद धूमिल होती जा रही है। हाल ही में इस मामले को दोबारा से खबरों में ले आया।
पिछले सप्ताह ब्रेंट क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से कम हो गईं, यह दिसंबर 2021 से अब तक सबसे निचे का लेवल है। इससे उम्मीदें बढ़ीं कि घरेलू बाजार में भी दरों में कमी आ सकती है। लेकिन जल्द ही कीमतें फिर से बढ़कर 74 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गईं। यह उतार-चढ़ाव भारतीय तेल कंपनियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले कीमतों में कटौती की संभावना कम है। यह बयान दर्शाता है कि ईंधन की कीमतें राजनीतिक परिदृश्य से भी प्रभावित होती हैं। पिछले वर्ष आम चुनाव से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मामूली कटौती की गई थी, जो इस बात को और पुष्ट करता है।
भारत की प्रमुख तेल कंपनियां – इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, बीपीसीएल और एचपीसीएल – 2021 के बाद से कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं कर रही हैं। ये कंपनियां वर्तमान में अच्छा मुनाफा कमा रही हैं और कीमतों में किसी भी तरह के बदलाव से पहले बाजार की स्थिति को और स्थिर होने का इंतजार कर रही हैं। भारत अपनी 85% पेट्रोलियम जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, जो इन कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के प्रति संवेदनशील बनाता है।
भारत में 82.42 रुपये लीटर पर सबसे सस्ता पेट्रोल उपलब्ध
वर्तमान में, भारत में सबसे सस्ता पेट्रोल पोर्ट ब्लेयर में 82.42 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है, जबकि सबसे महंगा पेट्रोल आदिलाबाद में 109.41 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। दिल्ली की बात करें तो यहाँ पेट्रोल की कीमत 94 रुपये 72 पैसे प्रति लीटर है, जबकि डीजल 87 रुपये 62 पैसे प्रति लीटर बिक रहा है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में ईंधन की कीमतों में अंतर पाया जाता है।
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है, भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तत्काल राहत की उम्मीद कम है। सरकारी नीतियां, चुनावी माहौल, और तेल कंपनियों की रणनीति मिलकर कीमतों को प्रभावित कर रही हैं। उपभोक्ताओं को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है, जब तक कि या तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिरता न आए या फिर सरकार कीमतों में कटौती का निर्णय न ले।
इस बीच, विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में ईंधन की कीमतें अभी भी अधिक हैं। उदाहरण के लिए, ईरान में पेट्रोल मात्र 2.40 रुपये प्रति लीटर की दर से उपलब्ध है। यह अंतर भारत सरकार और तेल कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
यह कहा जा सकता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की उम्मीद अभी के लिए एक सपना ही लगती है। हालांकि, आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति और घरेलू राजनीतिक परिदृश्य इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।