सोने के भाव में हुई लगातार वृद्धि के बीच भारत के बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है, जिससे उपभोक्ताओं और निवेशकों दोनों को असमंजस में डाल दिया है।
सोमवार को सोने की कीमतों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया, जब 22 कैरेट सोने की कीमत 69,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। यह पिछले 1 जनवरी, 2024 की कीमत 63,870 रुपये से लगभग 6,000 रुपये अधिक है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस वृद्धि का मुख्य कारण है फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती और मध्य पूर्व में चल रहे तनाव। वैश्विक स्तर पर मजबूत डॉलर के कारण भी सोने की कीमतों में इजाफा हो रहा है।
इस तेजी के बीच, भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत भी 76,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई, जो एक नया उच्च स्तर है। जबकि 18 कैरेट सोने की कीमत भी 57,110 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
भारतीय बाजार में सोने के लगातार महंगा होने से उपभोक्ताओं और निवेशकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर त्यौहारी सीजन में, जब सोने की मांग सबसे अधिक होती है, इन ऊंची कीमतों से उनका बजट बिगड़ रहा है।
जाहिर है कि सोने की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से दूल्हे-दुल्हनों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके शादी के खर्चों में भारी वृद्धि हुई है।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सोने के भाव में गिरावट आने की संभावना भी है। वे कहते हैं कि अगर फेडरल रिजर्व आगे भी ब्याज दरों में कटौती करता है, तो सोने की कीमतें गिर सकती हैं। इसके अलावा, मध्य पूर्व में तनाव कम होने से भी सोने के भाव पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
भारत में चांदी की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। सोमवार को 1 किलोग्राम चांदी की कीमत 93,000 रुपये रही, जो कि पिछले कुछ दिनों से अपरिवर्तित है।
वैश्विक बाजार में भी चांदी की कीमतें स्थिर रही हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, सोमवार को हाजिर चांदी 0.1% गिरकर 31.07 डॉलर प्रति औंस पर आ गई।
इस बीच, प्लैटिनम और पैलेडियम जैसे कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट देखी गई है। प्लैटिनम 0.8% गिरकर 967.50 डॉलर पर आ गया, जबकि पैलेडियम लगभग 1% गिरकर 1,057.38 डॉलर पर पहुंच गया।
अंतत: हम कह सकते हैं कि सोने और चांदी की कीमतों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। उपभोक्ताओं और निवेशकों दोनों को इस स्थिति में अपनी रणनीति बनानी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों और भूराजनीतिक स्थितियों में किसी भी बदलाव का सीधा असर इन कीमतों पर पड़ेगा।