हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जो राज्य के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को प्रभावित करेगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य विधानसभा में घोषणा की कि वेतन और पेंशन भुगतान की तिथियों में बदलाव किया जाएगा। यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए उठाया गया है।
नई भुगतान व्यवस्था और उसके कारण
नई व्यवस्था के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों को अब हर महीने की 5 तारीख को वेतन मिलेगा, जबकि पेंशनभोगियों को 10 तारीख को भुगतान किया जाएगा। यह बदलाव मुख्य रूप से राज्य की वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिए किया गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार वेतन वितरण और केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए प्रति माह पांच दिनों के लिए धन उधार लेती है।
इस नई व्यवस्था से राज्य सरकार को अल्पावधि ऋणों पर ब्याज भुगतान में कमी लाने में मदद मिलेगी। अनुमान है कि इस बदलाव से राज्य सालाना लगभग 36 करोड़ रुपये की बचत कर सकेगा। यह राशि राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश लगभग 94,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। इसके अलावा, राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को विभिन्न लाभों और बकाया के रूप में करीब 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। ये आंकड़े राज्य की गंभीर आर्थिक चुनौतियों को दर्शाते हैं।
इन चुनौतियों के बावजूद, मुख्यमंत्री सुक्खू ने राज्य के भविष्य के प्रति आशावादी दृष्टिकोण व्यक्त किया है। उन्होंने अनुमान लगाया कि हिमाचल प्रदेश 2027 तक आत्मनिर्भर बन जाएगा और 2032 तक संभवतः भारत का सबसे समृद्ध राज्य बन सकता है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार वित्तीय अनुशासन पर विशेष ध्यान दे रही है।
इस निर्णय पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने मौजूदा सरकार के वित्तीय प्रबंधन की आलोचना करते हुए “मुफ्त रेवड़ी” की नीति को राज्य की आर्थिक समस्याओं का एक कारण बताया है। हालांकि, मुख्यमंत्री सुक्खू ने इन आरोपों का जवाब देते हुए पिछली सरकार द्वारा चुनाव से पहले शुरू की गई मुफ्त पानी और बिजली जैसी योजनाओं का उल्लेख किया।
हिमाचल प्रदेश सरकार का यह निर्णय राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि इससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक हो सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति किस हद तक सफल होती है और राज्य अपने महत्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करता है।